Ganesh Chaturthi 2020|आज है गणेश चतुर्थी जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि, मिलेगी आपार खुशियां…..
Ganesh Chaturthi 2020: आज पूरे भारत में गणेश चतुर्थी मनाया जा रहा है जो की अगले 10 दिनों तक त्योहार को मनाया जाएगा। दस दिनों तक मनाए जाने वाले इस त्योहार पर गणपति की स्थापना और उनकी पूजा और आराधना के लिए शुभ मुहूर्त का पता होना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। ऐसा माना जाता है की गणेश जी का जन्म भाद्रपद के चतुर्थी के दिन हुआ था तब से यह गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है।
ऐसा मानना है की गणेश जी की पूजा आराधना करने से घर में कई तरह की बाधाए दूर हो जाती है। घर में खुशियां कायम रहती है। इसीलिए गणेश जी को विघ्नहर्ता के नाम से भी जाना जाता है। गणेश चतुर्थी सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल कोरोना संक्रमण को देखते हुए कोई विशेष प्रकार के आयोजन करने पर पाबंदी लगा दी गई है। इसीलिए इस बार लोग साधारण तरीकों से ही गणपति बप्पा की पूजा अर्चना करेंगे।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त: Ganesh Chaturthi 2020
सुबह के 11: 07 am से दोपहर 01: 42 pm तक
दूसरा शाम 4:23 pm से 7:22 pm तक
रात में 9:12 pm से 11:23 pm तक
वर्जित चंद्रदर्शन का समय 8:47 am से रात 9:22 pmतक
चतुर्थी तिथि आरंभ 21 अगस्त की रात 11:02 pm से
चतुर्थी तिथि समाप्त 22 अगस्त की रात 7:56 pm तक
गणेश चतुर्थी पर पूजन विधि Ganesh Chaturthi 2020
- सबसे पहले स्नान करके पवित्र हो जाएं।
- जिस स्थल पर मूर्ति स्थापित करनी है, उस जगह की साफ-सफाई कर लें।
- इसके बाद गंगाजल से जगह को और मूर्ति को पवित्र करें।
- भगवान गणेश की मूर्ति को चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर स्थापित करें।
- धूप, दीप और अगरबत्ती जला ले।
- गणेश जी आपके घर में जब तक रहेंगे तब तक अखंड दीपक जलाए।
- गणेश जी के माथे पर कुमकुम का तिलक लगाएं।
- चावल, दूभ घास और फूल चढ़ाए।
- गणेश जी को याद कर गणेश स्तुति और गणेश चालीसा का पाठ करें।
- इसके बाद ॐ गं गणपते नमः मंत्र का जाप करें।
- फिर गणेश जी की आरती करें।
- आरती के बाद गणेश जी को फल या मिठाई से भोग लगाएं।
- संभव हो तो मोदक का भोग जरूर लगाएं।
- रात में जागरण करें।
- गणेश जी जब तक घर में रहेंगे तब तक उन्हे अकेला में ना छोड़े।
इस मंत्रों का उच्चारण कर भगवान की पूजा अर्चना करें।
ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें। ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।।
गं क्षिप्रप्रसादनाय नम:। ॐ ग्लौम गौरी पुत्र, वक्रतुंड, गणपति गुरु गणेश।
ग्लौम गणपति, ऋदि्ध पति। मेरे दूर करो क्लेश।
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