जिला मुंगेर के रायकड़ गाँव के स्थित निवासी जयकिशोर सिंह ने मुख्यमंत्री, भूमि सुधार मंत्री एवं पुलिस महानिदेशक को आवेदन के जरिए संग्रामपुर के थानाध्यक्ष सर्वजीत कुमार और संग्रामपुर अंचलाधिकारी की मिलीभगत से पैतृक सम्पत्ति पर विपक्षी के प्रभाव में आकर फर्जी रूप से जमाबंदी कायम कर उक्त जमीन पर निर्माण कार्य करवाये जाने का आरोप लगाया गया है।
आपको बता दें कि पीड़ित रायकिशोर सिंह बताया है कि मेरी परनानी झरनी देवी ग्राम कुसमार की स्थाई निवासी थी जिन्होंने मेरे पिता स्व० गोविन्द प्रसाद मंडल उर्फ गोविंद प्रसाद सिंह और चाचा बालेश्वर मंडल के नाम से पूर्व जमींदार के द्वारा जमाबन्दी कराई गई थी। जिसके आधार पर जमाबन्दी नं० 59 कायम हुआ था और जमीन पर मेरा पूर्ण अधिकार एवं दखल कब्जा उक्त वर्णित खेसरा पर है, हर साल लगान राशिद भी कटता चला आ रहा है। वहीं मेरे चाचा इंद्रदेव प्रसाद सिंह ने फर्जी तरीके से मेरी जमीन जिसका खेसरा न०- 209 की साढ़े छः डिसमिल को हिस्सेदार बताकर खरीददार निशा देवी, पति सत्येन्द्र प्रसाद सिंह, ग्राम पौड़िया को फर्जी ढंग से बेच दिया गया।
वहीं, पीड़ित ने संग्रामपुर के अंचलाधिकारी पर आरोप लगाते हुए बताया है कि उन्होंने विपक्षी के मिलीभगत से जमीन को फर्जी रूप से जमाबन्दी सत्येंद्र प्रदास सिंह ने अपनी पत्नी निशा देवी के नाम से कायम करा दिया गया है। जिसका मुकदमा अनुमंडल दंडाधिकारी तारापुर के न्यायालय में धारा 144 के तहत चल रहा है।
पीड़ित जयकिशोर सिंह ने संग्रामपुर के थानाध्यक्ष सर्वजीत कुमार के द्वारा गलत ढंग से विपक्षी के मेल व प्रभाव में आकर उक्त जमीन पर निर्माण कार्य करवाये जाने का आरोप लगाते हुए बताया है कि थानाध्यक्ष स्वयं उक्त विवादित भूमि पर उपस्थित होकर जमीन पर कार्य करवा रहे हैं। वहीं विरोध करने पर मुझे और मेरे परिवार वाले को रंगदारी एवं चोरी के झूठे केस में फंसाने की धमकी भी दिया गया हैं। थानाध्यक्ष ने धमकी देते हुए बोला है कि तुम को जहां जाना है जाओ तुम्हारी जमीन पर काम होगा, तुम्हारा कागज गलत है। ये सब बात कह वो खुद न्यायाधीश भी बन बैठें हैं। जिसको लेकर पीड़ित ने मुख्यमंत्री, भूमि सुधार मंत्री एवं पुलिस महानिदेशक को आवेदन देकर उचित न्याय की गुहार लगाई है।