पतंजलि कोरोना की दवा ‘कोरोनील’ पर लगा रोक, जांच का आदेश: आयुष मंत्रालय
आज मंगलवार को पतंजलि ने कोरोना की दो दवा लॉन्च किया है पर आयुष मंत्रालय को इस दवा के बारे कोई पुख्ता वैज्ञानिक सबूत नहीं है। इसको देखते हुए आयुष मंत्रालय ने पतंजलि के द्वारा लॉन्च किया गया दवा को फिलहाल किसी भी तरह की प्रचार और प्रसार पर रोक लगा दिया है। जैसा की बाबा रामदेव के द्वारा दावे की जा रही है की इस दवा का ट्रायल कर लिया गया है पर आयुष मंत्रालय ने ये साफ कर दिया है की इस दवा के बारे में हमे किसी भी प्रकार का जानकारी नहीं दिया गया है।
आज पतंजलि ने कोरोना से बचने के लिए दो दवा लॉन्च किया जिसमे एक टैबलेट है जिसका नाम “कोरोनील टैबलेट” है तथा एक “श्वासारी वटी” नाम की दवा है। पतंजलि के द्वारा दावा किया जा रहा है की उन्होंने इस दवा का उपयोग करीब 100 लोगों पर किया है और सभी लोग पूर्ण रुप से ठीक हो गए है। कोविड-19 वायरस का यह एक आयुर्वेदिक इलाज है। लेकिन आयुष मंत्रालय का कहना है की वैज्ञानिक अध्ययन के दावों की सच्चाई के बारे में उन्हे किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी गई है।
आयुष मंत्रालय ने 21 अप्रैल को एक नोटिस जारी कर उसमे बताया था की आयुष मंत्रालय के देख रेख में कोविद- 19 के बारे में रिसर्च और अध्ययन कैसे किया जाएगा।
मंत्रालय के बयान के अनुसार पतंजलि को सूचित किया गया है की जो दवा से संबंधित विज्ञापन आते है उसे ड्रग एण्ड मैजिक कानून 1954 ” आपत्तिजनक विज्ञापन” और कोरोना महामारी को लेकर ये केंद्र सरकार के निर्देशों के अंतर्गत आता है। जब तक इसकी पूर्ण रूप से सत्यता की जांच ना कर लिया जाय तब तक इस प्रकार का विज्ञापन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा।
आयुष मंत्रालय ने पतंजलि से कुछ सवाल पूछे है की इस दवा को बनाने में किस सामग्री का प्रयोग किया गया है और इस दवा को किस अस्पताल में परीक्षण किया गया है और किस प्रकार के प्रोटोकाल का उपयोग किया गया है? इस दवा के बारे में तमाम की गई अध्ययन का डाटा कहां है? ये सब सवालों के जबाब मांगे है।
आयुष मंत्रालय ने साफ बता दिया है की जब तक ये सभी सवालों के जबाब और सत्यता की जांच नहीं हो जाती है तब इस दवा का प्रचार प्रसार बंद रहेगा।
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