बिहार का महापर्व छठ पूजा कार्तिक महीने के शुल्क पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता हैं। छठ पूजा में लोग भगवान सूर्य की पूरे विधि विधान से पूजन करते है। इस बार छठ पूजा 8 नवंबर से शुरू होकर 11 नवंबर तक सम्पन्न हो जाएगी। ये पर्व पूरे चार दिन के होते हैं जो की लोग बहुत ही धूम धाम से इस पर्व को मनाते हैं। छठ का महापर्व मुख्य रूप से बिहार में मनाया जाता है एवं बिहार के अलावे झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है।
आपको बता दें कि छठ पूजा का पर्व नहाय-खाय से शुरू होता है और सुबह सुर्य को अर्घ्य देकर खत्म हो जाता है। यानी आज 08 नवंबर नहाय खाय से शुरू हो गई है। 4 दिनों तक चलने वाले इस त्योहार में अपने संतान प्राप्ति और अपने बच्चों की मंगलकामना के लिए महिलाएं 36 घंटों तक निर्जला उपवास रख कर यह पर्व मनाती हैं। आइए जानते हैं इन चार दिनों में क्या-क्या होता है।
छठ पूजा के शुरू होने के पहला दिन को नहाय खाय के नाम से जाना जाता है। अर्थात छठ पूजा का महापर्व नहाय खाय से प्रारंभ किया जाता है। आज 08 नवंबर 2021 को नहाय-खाय है। इस दिन महिलाएं नहाकर पूजा करती है फिर बाद में चना का दाल, कद्दू का सब्जी और चावल का भोजन करती है। फिर अपने घर के अन्य लोगों को खाना खिलाते हैं।
छठ पूजा के शुरू होने के दूसरे दिन को खरना कहते है। अर्थात छठ पूजा के दूसरा दिन खरना के रूप में मनाते हैं। इस बार 09 नवंबर 2021 को खरना है इस दिन महिलाएं पूरे दिन उपवास रहती है और शाम के टाइम में मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ (मीठा) का खीर बनाती है और घी लगी रोटी भी बनाया जाता है। पूजा करने के बाद घर के सभी सदस्य को प्रसाद के रूप में इसे दिया जाता है। माना जाता है कि खरना के दिन से ही छठी मईया का घर में आगमन होता है।
छठ पूजा के शुरू होने के तीसरे दिन को संध्या अर्घ्य कहते है। संध्या अर्घ्य या छठ पूजा कार्तिक महीने के शुल्क पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। संध्या में सुर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है। इस बार संध्या अर्घ्य 10 नवंबर 2021 को पूजा मनाया जाएगा। इस दिन शाम के समय में बांस के टोकरी में सूप डाल कर उसमें फल, ठेकुआ, मिठाई, एवं अन्य कई परकार के पकवानों को रख कर नदी, तालाब या घाट पर जाकर सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है। सूर्यास्त होने के साथ ही सभी लोग फिर अपने घर वापस आ जाते है।
छठ पूजा शुरू होने के चौथे दिन को पारण के रूप में मनाया जाता है। इस दिन व्रती सूर्योदय से पहले जिस नदी, तालाब या घाट पर संध्या अर्घ्य देते है वहां पर जाकर सूर्योदय होने के साथ सूर्य देवता को अर्घ्य समर्पित करते है और फिर घर वापस आ जाते है। इस बार पारण या सुबह का अर्घ्य 11 नवंबर 2021 को मनाया जाएगा। इसी के साथ छठ का पूजा भी समाप्त हो जाएगा। फिर बाद में घर में बने भोजन को ग्रहण करके अपना पारण मनाती है।
छठ पूजा की तिथीयां
- 8 नवंबर 2021, सोमवार- चतुर्थी (नहाए-खाए)
- 9 नवंबर 2021, मंगलवार- पंचमी (खरना)
- 10 नवंबर 2021, बुधवार- षष्ठी (डूबते सूर्य को अर्घ्य)
- 11 नवंबर 2021, गुरुवार- पारण (उगते हुए सूर्य को अर्घ्य)